Month: मार्च 2024

शाश्वत विरासत

जब महामंदी के दौरान “डस्ट बोल” (Dust Bowl) नाम के रेतीले तूफ़ानों ने संयुक्त राज्य अमेरिका को तबाह कर दिया था, तब कैनसस, हियावाथा के निवासी जॉन मिलबर्न डेविस ने अपने लिए प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त करने का फैसला किया। अपने बल-बूते पर करोड़पति बने निःसंतान, डेविस ने दान या आर्थिक विकास में निवेश करने के बजाय, बड़े खर्च पर,  स्थानीय कब्रिस्तान में अपनी और अपनी मृत पत्नी की ग्यारह आदमकद मूर्तियाँ खड़ी कर दीं । 

डेविस ने पत्रकार एर्नी पाइल से कहा, "कैनसस में वे मुझसे नफरत करते हैं।" स्थानीय निवासी चाहते थे कि वह अस्पताल, स्विमिंग पूल या पार्क जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण के लिए धन दें। फिर भी उन्होंने बस इतना ही कहा, "यह मेरा पैसा है और मैं इसे अपनी इच्छानुसार खर्च करता हूँ।"

राजा सुलैमान, जो अपने समय का सबसे धनी व्यक्ति था, ने लिखा, "जो रूपए से प्रीति रखता है वह रूपए से तृप्त न होगा” "जब सम्पत्ति बढ़ती है तो उसके खाने वाले भी बढ़ते हैं” (सभोपदेशक 5:10-11)। सुलैमान धन की भ्रष्ट करने वाली प्रवृत्तियों के प्रति भली-भांति परिचित हो गया था। प्रेरित पौलुस ने भी धन के लालच को समझा और अपना जीवन यीशु की आज्ञाकारिता में लगाने का निर्णय लिया। रोमन जेल में फाँसी की प्रतीक्षा करते हुए, उन्होंने विजयी भाव से लिखा, "क्योंकि अब मैं अर्ध की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।" (2 तीमुथियुस 4:6-7)।  

जो हम पत्थर में तराशते हैं या अपने लिए जमा करते हैं, वो सदा के लिए बना नहीं रहता है। यह वह है जो हम एक-दूसरे के लिए और उसके लिए प्यार से देते हैं - वह जो हमें दिखाता है कि प्यार कैसे करना है।

सुसमाचार का सार

पाम संडे से ईस्टर संडे तक, हम यीशु के कदमों के निशान उस रास्ते पर देखते हैं जो उन्हें क्रूस तक ले जाता है। यह एक परिचित कहानी है, लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अपने लोगों के लिए परमेश्वर के अपार प्रेम और हमें हमारे पापों से बचाने के लिए वह किस हद तक जाएगा, इसकी बात करती है। आइए…

सिर्फ़ परमेश्वर ही संतुष्टि दे सकता है

बहुत बड़ा झींगा, शावर्मा, सलाद, और बहुत कुछ - हज़ारों रुपये के मूल्य का भोजन -  एक घर के मालिक को दिया गया। लेकिन वह आदमी पार्टी नहीं कर रहा था। वास्तव में, उसने स्मोर्गास्बोर्ड (बुफे जो विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ और व्यंजन पेश करता है)का ऑर्डर नहीं दिया था; बल्कि उसके छह साल के बेटे ने किया था। यह कैसे हो गया? पिता ने अपने बेटे को सोने से पहले अपने फोन से खेलने दिया और बेटे ने इसका इस्तेमाल कई रेस्तरां से महंगे इनाम खरीदने के लिए किया। "तुमने ऐसा क्यों किया?" पिता ने अपने बेटे से पूछा, जो उसकी रजाई के नीचे छिपा हुआ था। छह साल के बच्चे ने उत्तर दिया, "मैं भूखा था।" लड़के की भूख और अपरिपक्वता के कारण इसका परिणाम महंगा पड़ा।

एसाव की भूख की कीमत हजारों रुपये से भी अधिक थी। उत्पत्ति 25 की कहानी में वह थका हुआ और भोजन के लिए बेचैन दिखता है। उसने अपने भाई से कहा, “उसी लाल वस्तु में से मुझे कुछ खिला! मैं भूखा हूं!" (पद- 30)I याकूब ने उत्तर में एसाव से उसका पहिलौठे का जन्मसिद्ध अधिकार माँग लिया (पद-31)। जन्मसिद्ध अधिकार में एसाव का पहिलौठे पुत्र के रूप में विशेष स्थान, परमेश्वर के वादों का आशीर्वाद, विरासत का दोगुना हिस्सा और परिवार का आत्मिक अगुवा होने का विशेषाधिकार शामिल था। अपनी भूख के आगे झुकते हुए, एसाव ने "खाया और पिया" और "अपने पहिलौठे के अधिकार को तुच्छ जाना" (पद 34)।

जब हम प्रलोभित होते हैं और किसी चीज़ की इच्छा करते हैं, तब अपनी भूख को हमें महंगी गलतियों और पाप की ओर ले जाने के बजाय, आइए हम अपने स्वर्गीय पिता के पास जाएं  - सिर्फ़ वे ही भूखी आत्मा को "उत्तम पदार्थों से" तृप्त करते है (भजन संहिता 107:9)।

संकट की पुकार

भूकंप के कारण दो मंजिलों के ढहे मलबे के नीचे फंसी पांच वर्षीय सीरियाई लड़की जिनान ने अपने आस पास के मलबे के बीच घिरे हुए अपने छोटे भाई की रक्षा करते हुए उसने बचाव दल को बुलाया, दिल तोड़ देने वाले शब्दों में कहा कि "मुझे यहाँ से बाहर निकालिए; मैं आपके लिए कुछ भी करूंगी, मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी।   

संपूर्ण भजन संहिता में संकट की पुकार पाई जाती हैं: "मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा ,परमेश्वर ने मेरी सुनकर, मुझे चौड़े स्थान पर पहुँचाया"(118:5)। हालाँकि हम कभी भी भूकंप से ढही इमारतों के कुचले हुए भार का अनुभव नहीं करते हैं, हम सभी चुनौतीपूर्ण रोग, आर्थिक कठिनाई, भविष्य के बारे में अनिश्चितता, या रिश्तों को खोने पर दम घुटने वाली आशंकाओं को जानते हैं।

उन क्षणों में हम मुक्ति के लिए परमेश्वर के सामने समझौते का सौदा या सेवा-शर्त का प्रस्ताव रख सकते है। लेकिन परमेश्वर से मदद के लिए हमें उन्हें राज़ी करने की जरूरत नहीं है। वे उत्तर देने का वादा करते है, और हालांकि हम तुरंत अपनी स्थिति में राहत नहीं पाते है, फिर भी वे हमारी ओर से और हमारे साथ है। हमें मृत्यु सहित किसी भी अन्य खतरे से डरने की ज़रूरत नहीं है। हम भजनकार के साथ कह सकते हैं, “यहोवा मेरी ओर मेरे सहायकों में है; मैं अपने बैरियों पर दृष्टी कर संतुष्ट हूँगा” (पद- 7)। 

हमें उतने प्रभावशाली या नाटकीय बचाव का वादा नहीं किया गया है जितना कि जिनान और उसके भाई ने अनुभव किया था, लेकिन हम अपने वफादार परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, जो भजनकार को "चौड़े स्थान पर" ले आए (पद- 5)। वह हमारी स्थिति जानता है और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, यहाँ तक कि मृत्यु में भी।

मसीह में साहस

उन्नीसवीं सदी की शुरुआत के करीब, मेरी मैकडॉवेल शिकागो के क्रूर स्टॉकयार्डों से बिलकुल अलग मोहौल में रहती थीं। हालाँकि उसका घर सिर्फ बीस मील दूर था, लेकिन वह उन काम की भयानक परिस्थितियों के बारे में बहुत कम जानती थी, जिन्होंने स्टॉकयार्ड में मजदूरों को हड़ताल करने के लिए प्रेरित किया था। एक दिन जब उन्हें उनके और उनके परिवारों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में पता चला, तो मैकडॉवेल उनके बीच रहने के लिए चली गयी - बेहतर परिस्थितियों के समर्थन के लिए । वह उनकी ज़रूरतों को पूरा करती थी, जिसमें एक छोटी सी दुकान के पीछे एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाना भी शामिल था।

दूसरों के लिए बेहतर परिस्थितियों के लिए खड़े रहना - भले ही सीधे तौर पर प्रभावशाली न हो - कुछ ऐसा ही है जो एस्तेर ने भी किया था। वह फ़ारस की रानी थी (एस्तेर 2:17) और उसके पास अपने इस्राएली लोगों की तुलना में विशेषाधिकारों का एक अलग समूह था, जो निर्वासन (देशनिकाला) के रूप में पूरे फारस में फैले हुए थे।  फिर भी एस्तेर ने फ़ारस में इस्राएलियों का पक्ष लिया और उनके लिए अपनी जान जोखिम में डालते हुए कहा, “मैं नियम के विरुद्ध राजा के पास भीतर जाऊँगी; और यदि नष्ट हो गयी तो हो गयीI” (4:16)। वह चुप रह सकती थी, क्योंकि उसके पति, राजा को नहीं पता था कि वह यहूदी थी (2:10)। लेकिन, मदद के लिए अपने रिश्तेदारों की गुहार को नजरअंदाज न करते हुए, उसने यहूदियों को नष्ट करने की एक दुष्ट साज़िश का खुलासा करने के लिए साहसपूर्वक काम किया।

हो सकता है कि हम मेरी मैकडॉवेल या रानी एस्तेर जैसे बड़े कार्यों को करने में सक्षम न हों, परन्तु हम दूसरों की ज़रूरतों को देख कर उनकी मदद करने के लिए परमेश्वर ने जो हमें  प्रदान किया है उसका उपयोग करने का चुनाव कर सकते हैं।